Government of Uttar Pradesh is only changing investigation officer in scholarship scandal of millions of rupees quite obvious from report


 

संदर्भ संख्या : 40015723033852 , दिनांक - 02 Jun 2023 तक की स्थिति

आवेदनकर्ता का विवरण :

शिकायत संख्या:-40015723033852

आवेदक का नाम-Yogi M. P. Singh

विषय-महोदय जब एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की जांच के आधार पर हजरतगंज थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई तो उसमें अब तक क्या कार्यवाही की गई और इस समय तक का क्या जांच निष्कर्ष रहा यह जांच कब तक समाप्त होगी अभी तक कोई चार्जशीट दाखिल किया गया संबंधित कोर्ट में या नहीं कृपया इन सभी का समुचित उत्तर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51अ के तहत प्रार्थी को उपलब्ध कराएं कागजों पर हजारों दिव्यांग विद्यार्थी परीक्षा हुई तो एक भी नहीं मिला करोड़ों की छात्रवृत्ति हड़पने के लिए डमी विद्यार्थियों को दिए दाखिले सूरज शुक्ला लखनऊ। छात्रवृत्ति घोटाले में हाईस्कूल व इंटर के दिव्यांग छात्रों के नाम पर भी बड़ी रकम कॉलेजों ने वर्षों तक डकारी। इसके लिए कागजों पर हजारों फर्जी दाखिले किए और करोड़ों हड़पे । पर जब बोर्ड परीक्षाओं का वक्त आया तो इन कॉलेजों का एक भी दिव्यांग छात्र जिनके नाम पर छात्रवृत्ति ली गई परीक्षा में शामिल नहीं हुआ। इन आंकड़ों से घोटाले का खुलासा हुआ। बोर्ड परीक्षाओं से संबंधित दस्तावेज को साक्ष्य के तौर पर एसआईटी ने जांच में शामिल किया है। इस खेल में हरदोई के तीन कॉलेजों की अहम भूमिका रही। ईडी की जांच के आधार पर हजरतगंज पुलिस ने गत 30 मार्च को घोटाले में एफआईआर दर्ज की. थीं। अब तक की जांच में घोटाले की राशि करीब दो सौ करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। प्रकरण की जांच एसआईटी कर रही है। एफआईआर में हरदोई के तीन कॉलेज आरपीपी इंटर कॉलेज, ज्ञानवती इंटर कॉलेज व जगदीश वर्मा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नामजद हैं। तफ्तीश में सामने आया कि इन संस्थानों में हाईस्कूल व इंटर में दिव्यांग छात्र-छात्राओं के नाम पर बाकायदा फार्म भरे गए। ऑनलाइन आवेदन कर छात्रवृत्ति ली गई। पर परीक्षा में एक भी छात्र सामने नहीं आया। डमी विद्यार्थी के तौर पर पूरा खेल खेला गया। प्रति छात्र करीब 40 हजार रुपये छात्रवृत्ति जारी की गई। ये खेल 2015 से 2022 तक किया गया। बोर्ड परीक्षा के आंकड़ों से खुला 2015 से खेला जा रहा खेल खुद स्वीकारा एक भी दिव्यांग छात्र नहीं शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक कॉलेज से जानकारी मांगी जाती है कि उनके यहां कितने दिव्यांग बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होंगे। सूत्रों के मुताबिक जिन तीन कॉलेजों ने पिछले छह साल में हजारों दिव्यांग विद्यार्थियों के नाम पर छात्रवृत्ति ली, उन्होंने खुद जवाब लिखकर भेजा कि उनके वहां कोई भी • छात्रवृत्ति के लिए भी अब ई-केवाईसी लखनऊ। छात्रवृत्ति व शुल्क भरपाई योजना में इस सत्र से ई-केवाईसी की व्यवस्था लागू कर दी गई है। ऑनलाइन आवेदन में आधार नंबर डालते हो विद्यार्थी का नाम, पता, उम्र, लिंग व बैंक खाता नंबर के कॉलम खुद ही भर जाएंगे। योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए इस सत्र से अनेक बदलाव किए जा रहे हैं। समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक ई-केवाईसी लागू होने के कारण छात्रों को समय रहते यह देख लेना चाहिए कि हाईस्कूल के अंकपत्र व आधार कार्ड में दिए नाम एक ही हों। यदि अंतर है तो आधार कार्ड में नाम को हाईस्कूल के अंकपत्र के अनुसार संशोधन करा लें। इसी तरह से आधार से जो बैंक खाता लिंक होगा, ऑनलाइन आवेदन में वही प्रदर्शित होने लगेगा। अगर एक ही छात्र के कई खाते आधार से लिंक होंगे तो सबसे बाद में लिंक किए गए खाते को सॉफ्टवेयर अपलोड करेगा। जिन छात्राओं की शादी हो गई है, उन्हें भी आधार में सरनेम अपडेट कस लेने का सुझाव दिया गया है। शादी के बाद पिता का नहीं, बल्कि पति का आय प्रमाणपत्र लगाना होगा। ब्यूरो एक-एक सत्र में दो-दो सौ डमी दिव्यांग सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने इन तीनों कॉलेजों का छात्रवृत्ति संबंधी दस्तावेज • अपने कब्जे में लिए हैं। इन कॉलेजों के एक-एक सत्र में 175-200 डमी दिव्यांग विद्यार्थियों के दाखिले दिखाए गए। अफसर भी आंकड़े देखकर हैरान रह गए, क्योंकि आमतौर पर किसी सामान्य स्कूल-कॉलेज में इतनी बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की नहीं होती है। अफसरों का कहना है कि अगर ऐसा था तो छात्रवृत्ति देने वाले विभाग को दिव्यांग नहीं हैं। भी यह खेल पहले ही पकड़ लेना चाहिए था। छात्रवृत्ति के लिए अब ई-केवाईसी लखनऊ। छात्रवृत्ति और शुल्क भ

विभाग -पुलिसशिकायत श्रेणी -

नियोजित तारीख-15-06-2023शिकायत की स्थिति-

स्तर -थाना स्तरपद -थानाध्‍यक्ष/प्रभारी नि‍रीक्षक

प्राप्त रिमाइंडर-

प्राप्त फीडबैक -दिनांक02-06-2023 को फीडबैक:-Instead of concentrating on the subject matter of the grievance they provided a concocted story in the matter which is generally provided by the police of the state in the entire matters. This is the part of cryptic dealings of the concerned police. Whether the matter of corruption is sorted out by the police in the state of Uttar Pradesh in this way. More than two months passed and the concerned police station is providing the information that investigation has been transferred to the other people instead of taking solid and strong action in the matter. Inquiry was already carried out by the enforcement directorate and rest of the enquiry cum investigation was to be performed by the concerned police station which is still pending showing dereliction in the matter concerning serious allegations of corruption. Whether it is justified to put the matter of corruption into the heap of garbage in the name of investigation quite obvious from the dealings of the concerned police.

फीडबैक की स्थिति -

संलग्नक देखें -Click here

नोट- अंतिम कॉलम में वर्णित सन्दर्भ की स्थिति कॉलम-5 में अंकित अधिकारी के स्तर पर हुयी कार्यवाही दर्शाता है!

अधीनस्थ द्वारा प्राप्त आख्या :

क्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी अग्रसारित दिनांक आदेश आख्या देने वाले अधिकारी आख्या दिनांक आख्या स्थिति आपत्ति देखे संलगनक

1 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 16-05-2023 थानाध्‍यक्ष/प्रभारी नि‍रीक्षक-हज़रत गंज,जनपद-लखनऊ,पुलिस 01-06-2023 श्रीमान जी कृपया आख्या प्राप्त करें । निस्तारित

Beerbhadra Singh

To write blogs and applications for the deprived sections who can not raise their voices to stop their human rights violations by corrupt bureaucrats and executives.

Post a Comment

Whatever comments you make, it is your responsibility to use facts. You may not make unwanted imputations against any body which may be baseless otherwise commentator itself will be responsible for the derogatory remarks made against any body proved to be false at any appropriate forum.

Previous Post Next Post