Six stitches in head, bone of palm broken and no part of body left uninjured but police did not take any action alleging Lalit Mohan Kasera




C.O. City instead of registering offenders under sections 307,325,323,504 and 506 of IPC culminated into section 151/107/116 of Cr.P.C.


संदर्भ संख्या : 40019922011958 , दिनांक - 23 Jul 2022 तक की स्थिति

आवेदनकर्ता का विवरण :

शिकायत संख्या:-40019922011958

आवेदक का नाम-Lalit Mohan Kaseraविषय-Registration Number DGPOF/R/2022/60352 Name Lalit Mohan Kasera Date of Filing 16/05/2022Status REQUEST TRANSFERRED TO OTHER PUBLIC AUTHORITY as on 17/05/2022Details of Public Authority :- SUPERINTENDENT OF POLICE OFFICE MIRZAPUR. vide registration number :- SPMZR/R/2022/80004 respectively. Note:- Further details will be available on viewing the status of the above-mentioned new request registration number. More feedback is attached herewith. श्री मान जी उपरोक्त जनसूचना आवेदन आंग्ल भाषा में है इसलिए उसका हिंदी अनुवाद दे रहा हूँ शिकायत संख्या:-40019922010610 माननीय क्षेत्राधिकारी महोदय के यहां लंबित है हमे उम्मीद है की आप लोगो को समझ में आएगा क्योकि प्रकरण मातृ भाषा में भी उपलब्ध है  आवेदक का नाम-Lalit Mohan Kasera विषय-सभी जानते हैं कि सी आर पी.सी की धारा 151/107/116 के तहत कार्यवाही. केवल निवारक उपाय हैं और शुद्ध आपराधिक कार्यवाही नहीं हैं, बल्कि  ऐसी कार्यवाही अर्ध न्यायिक प्रकृति की हैं, जबकि मेरे बेटे का अपराध शुद्ध आपराधिक कार्यवाही को आमंत्रित कर रहा है, इसलिए मेरा मामला भारतीय दंड विधान की धारा 151/107/116 के तहत नहीं हल किया जा सकता है डी.जी.पी. कार्यालय उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस विभाग का निगरानी प्रमुख है जिसके माध्यम से राज्य सरकार राज्य में कानून व्यवस्था की निगरानी और पालन सुनिश्चित करती है। यह डीजीपी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि  लोगों के अधिकारों की रक्षा और देश  के कानून के प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सदैव तत्पर रहे  पुलिस अधीक्षक कार्यालय मिर्जापुर में पीआईओ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 की उपधारा 1 के तहत निर्धारित समय के भीतर मांगी गई बिंदुवार जानकारी प्रदान कर सकता है। 1-माननीय पुलिस अधीक्षक जिला-मिर्जापुर पीड़ित आवेदक को बता सकते हैं कि क्या 21 मार्च 2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 323/504 के तहत 31/22 के रूप में पंजीकृत एनसीआर को सीआरपीसी की धाराओं में कैसे समाप्त किया जा सकता है। धारा 151/107/116 जो अपराध निवारक उपाय हैं? इसका तात्पर्य यह है कि संबंधित पुलिस और सर्कल अधिकारी का निष्कर्ष और अवलोकन स्वयं अनुचित है और देश  के कानून के विपरीत सक्षम वरिष्ठ रैंक अधिकारी द्वारा ठीक किया जाना चाहिए। कृपया उसी दिन पीड़ित के हजरत इमाम युसूफ संभागीय अस्पताल में किए गए एक्स-रे रिपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध कराएं। 2-सीआरपीसी की  धारा 151  पुलिस की शक्ति है जो पुलिस द्वारा अपराध  निवारक कार्रवाई पर विचार करने वाला एक प्रावधान है। उक्त प्रावधान के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा अपराध करने से पहले ही उस अपराध को रोकने के लिए  पुलिस अधिकारी द्वारा लागू किया जा सकता है। 151. संज्ञेय अपराध करने से रोकने के लिए गिरफ्तारी। (1) किसी भी संज्ञेय अपराध को करने के लिए एक डिजाइन बनाने  वाले को  एक पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारंट के बिना, इस तरह के डिजाइन करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, अगर यदि  अधिकारी को ऐसा प्रतीत होता है कि अपराध के कमीशन को अन्यथा रोका नहीं जा सकता है तो इस प्रावधान का प्रयोग किया जाता है । सीआर, पी.सी. की धारा 107/116 तब लागू किया जाता है जब शांति भंग की आशंका होती है, परिणामस्वरूप ये दो धाराएं भी निवारक उपाय हैं जो उपरोक्त पुलिस की अक्षमता और भ्र्ष्टाचार को दर्शाती हैं। कृपया सरकार द्वारा जारी परिपत्र, अधिसूचना, कार्यालय ज्ञापन प्रदान करें जो एन.सी.आर की परिणति अपराध निवारक प्रावधान में करने का समर्थन करता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 323/504 के तहत और मुक़दमा संख्या  31/22 के रूप में पंजीकृत  अपराध को Cr.P.C की धाराओं के तहत 151/107/116 में परिणित करना जो अपराध निवारक उपाय हैं किस तरह से न्यायोचित है । 3-क्या पीड़ित की मेडिकल जांच रिपोर्ट पुलिस की जांच के अधीन है, निस्संदेह नहीं, अपराधियों द्वारा पीड़ित को गंभीर चोटें कैसे पहुंचाई जा सकती हैं. क्या पुलिस की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है क्योंकि इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है। पुलिस कोई न्यायाधीश नहीं है जो अ

विभाग -पुलिसशिकायत श्रेणी -

नियोजित तारीख-30-06-2022शिकायत की स्थिति-

स्तर -क्षेत्राधिकारी स्तरपद -क्षेत्राधिकारी / सहायक पुलिस आयुक्त

प्राप्त रिमाइंडर-

प्राप्त फीडबैक -दिनांक23-07-2022 को फीडबैक:-श्री मान क्षेत्राधिकारी महोदय कहते है प्रकरण मे एनसीआर पंजीकृत होकर निरोधात्मक कार्यवाही की गयी है Circle Officer must tell the applicant when N.C.R. will convert into F.I.R. and Lalit Mohan Kasera will get justice as offenders are set free.  क्षेत्राधिकारी शहर को आवेदक को बताना होगा कि एन.सी.आर. एफआइआर में तब्दील हो जाएगा। और ललित मोहन कसेरा को न्याय मिलेगा क्योंकि अपराधियों को मुक्त कर दिया गया है और वे प्रार्थी की हड्डी तोड़ कर सर फोड़ कर अपनी बाह बाही लूट रहे है और पुलिस में अपनी पकड़ का ढिढोरा पीट रहे और दुसरे को भी अपराध करने के लिए प्रेरित कर रहे है श्री मान २१ मार्च २०२२ को आप द्वारा अससंज्ञेय अपराध दर्ज करने के उपरांत प्रार्थी का चिकत्स्कीय परीक्षण कराया गया और चिकित्सक के परामर्श के उपरांत दूसरे दिन एक्सरे कराया गया किन्तु आप को अभी तक एक्सरे रिपोर्ट अप्राप्त है श्री मान जी चार महीने  भी आप को एक्सरे रिपोर्ट अप्राप्त है श्री मान की आप के पुलिस स्टेशन से २ किलो मीटर और चौकी से डेढ़ किलो मीटर पर है मंडलीय अस्पताल जो आपकी कर्तव्य पालन के प्रति निष्ठां दर्शाता है  संदर्भ संख्या 40019922016009 , दिनांक 20 Jul 2022 तक की स्थिति आवेदनकर्ता का विवरण शिकायत संख्या40019922016009 आवेदक का नामLalit Mohan Kaseraक्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी आदेश दिनांक आदेश आख्या देने वाले अधिकारी आख्या दिनांक आख्या स्थिति आपत्ति देखे संलगनक1 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 09072022 थानाध्‍यक्षप्रभारी नि‍रीक्षककोतवाली कटरा,जनपदमिर्ज़ापुर,पुलिस 12072022 श्रीमान् जी आख्या संलग्न है। निस्तारित 2 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 17072022 शिकायतकर्ता द्वारा असंतुष्ट फीडबैक प्राप्त होने पर उच्च अधिकारी को पुनः परीक्षण हेतु प्रेषित. क्षेत्राधिकारी सहायक पुलिस आयुक्तक्षेत्राधिकारी , नगर ,जनपदमिर्ज़ापुर 19072022 प्रकरण मे एनसीआर पंजीकृत होकर निरोधात्मक कार्यवाही की गयी है निस्तारित For more details, vide attached document to the grievance.श्री मान जी प्रार्थी के सर में छह टाके लगे श्री मान जी प्रार्थी के हाथ की हड्डी टूट गई प्रार्थी ले शरीर का कोई अंग ऐसा नहीं था जिस पर चोट न लगा हो प्रार्थी के खून से कटरा कोतवाली की जमीन लहूलुहान हो गयी किन्तु आपने आज तक उचित धाराओं में मुकदमा तक पंजीकृत नहीं किया गया क्या योगी सरकार  में पुलिस की यही कार्यशैली है गरीबो और मजलूमों को इसी तरह से योगी सरकार  में न्याय मिलता है जहा लोगो का प्रथम सूचना रिपोर्ट तक दर्ज नहीं होता है  श्री मान जी चिकित्सकीय परिक्षण रिपोर्ट से सिद्ध है की प्रार्थी को गंभीर छोटे आयी है और आप का अविश्वसनीय रिपोर्ट कहता है प्रार्थी को पीटे जाने का कोई प्रमाण नहीं है श्री मान जो आपके विवेचक को यह स्पस्ट करना चाहिए की प्रार्थी के ऊपर मौत का तांडव किसने  किया Sir, the applicant got six stitches in the head which might  be fatal to the applicant, Sir, the applicant suffered a fracture of the bone of the hand, there was no part of the body which was not hurted by the offenders and blood of the applicant spread on the floor and the scenario was terrific but think about integrity of the police concerned that still no F.I.R. has been registered in the matter . The case has not even been registered under the appropriate sections, is this the working style of the police in the Yogi government, the poor and the oppressed section get justice in this way in the Yogi government where the first information report of the people is not even registered. Whether most police personnel are not suffering with ailment of schizophrenia who work on cases like trials under supervision of a prejudiced judge.

फीडबैक की स्थिति -

संलग्नक देखें -Click here

नोट- अंतिम कॉलम में वर्णित सन्दर्भ की स्थिति कॉलम-5 में अंकित अधिकारी के स्तर पर हुयी कार्यवाही दर्शाता है!

अग्रसारित विवरण :

क्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी प्राप्त/आपत्ति दिनांक नियत दिनांक अधिकारी को प्रेषित आदेश स्थिति

1 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 31-05-2022 30-06-2022 क्षेत्राधिकारी / सहायक पुलिस आयुक्त-क्षेत्राधिकारी , नगर ,जनपद-मिर्ज़ापुर,पुलिस आख्या उच्च स्तर पर प्रेषित

2 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 23-07-2022 22-08-2022 वरिष्ठ /पुलिस अधीक्षक-मिर्ज़ापुर,पुलिस शिकायतकर्ता द्वारा असंतुष्ट फीडबैक प्राप्त होने पर उच्च अधिकारी को पुनः परीक्षण हेतु प्रेषित. अनमार्क

संदर्भ संख्या : 40019922011958 , दिनांक - 23 Jul 2022 तक की स्थिति

आवेदनकर्ता का विवरण :

शिकायत संख्या:-40019922011958

आवेदक का नाम-Lalit Mohan Kaseraविषय-Registration Number DGPOF/R/2022/60352 Name Lalit Mohan Kasera Date of Filing 16/05/2022Status REQUEST TRANSFERRED TO OTHER PUBLIC AUTHORITY as on 17/05/2022Details of Public Authority :- SUPERINTENDENT OF POLICE OFFICE MIRZAPUR. vide registration number :- SPMZR/R/2022/80004 respectively. Note:- Further details will be available on viewing the status of the above-mentioned new request registration number. More feedback is attached herewith. श्री मान जी उपरोक्त जनसूचना आवेदन आंग्ल भाषा में है इसलिए उसका हिंदी अनुवाद दे रहा हूँ शिकायत संख्या:-40019922010610 माननीय क्षेत्राधिकारी महोदय के यहां लंबित है हमे उम्मीद है की आप लोगो को समझ में आएगा क्योकि प्रकरण मातृ भाषा में भी उपलब्ध है  आवेदक का नाम-Lalit Mohan Kasera विषय-सभी जानते हैं कि सी आर पी.सी की धारा 151/107/116 के तहत कार्यवाही. केवल निवारक उपाय हैं और शुद्ध आपराधिक कार्यवाही नहीं हैं, बल्कि  ऐसी कार्यवाही अर्ध न्यायिक प्रकृति की हैं, जबकि मेरे बेटे का अपराध शुद्ध आपराधिक कार्यवाही को आमंत्रित कर रहा है, इसलिए मेरा मामला भारतीय दंड विधान की धारा 151/107/116 के तहत नहीं हल किया जा सकता है डी.जी.पी. कार्यालय उत्तर प्रदेश राज्य में पुलिस विभाग का निगरानी प्रमुख है जिसके माध्यम से राज्य सरकार राज्य में कानून व्यवस्था की निगरानी और पालन सुनिश्चित करती है। यह डीजीपी की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि  लोगों के अधिकारों की रक्षा और देश  के कानून के प्रावधानों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सदैव तत्पर रहे  पुलिस अधीक्षक कार्यालय मिर्जापुर में पीआईओ सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 7 की उपधारा 1 के तहत निर्धारित समय के भीतर मांगी गई बिंदुवार जानकारी प्रदान कर सकता है। 1-माननीय पुलिस अधीक्षक जिला-मिर्जापुर पीड़ित आवेदक को बता सकते हैं कि क्या 21 मार्च 2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 323/504 के तहत 31/22 के रूप में पंजीकृत एनसीआर को सीआरपीसी की धाराओं में कैसे समाप्त किया जा सकता है। धारा 151/107/116 जो अपराध निवारक उपाय हैं? इसका तात्पर्य यह है कि संबंधित पुलिस और सर्कल अधिकारी का निष्कर्ष और अवलोकन स्वयं अनुचित है और देश  के कानून के विपरीत सक्षम वरिष्ठ रैंक अधिकारी द्वारा ठीक किया जाना चाहिए। कृपया उसी दिन पीड़ित के हजरत इमाम युसूफ संभागीय अस्पताल में किए गए एक्स-रे रिपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध कराएं। 2-सीआरपीसी की  धारा 151  पुलिस की शक्ति है जो पुलिस द्वारा अपराध  निवारक कार्रवाई पर विचार करने वाला एक प्रावधान है। उक्त प्रावधान के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा अपराध करने से पहले ही उस अपराध को रोकने के लिए  पुलिस अधिकारी द्वारा लागू किया जा सकता है। 151. संज्ञेय अपराध करने से रोकने के लिए गिरफ्तारी। (1) किसी भी संज्ञेय अपराध को करने के लिए एक डिजाइन बनाने  वाले को  एक पुलिस अधिकारी, मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना और वारंट के बिना, इस तरह के डिजाइन करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है, अगर यदि  अधिकारी को ऐसा प्रतीत होता है कि अपराध के कमीशन को अन्यथा रोका नहीं जा सकता है तो इस प्रावधान का प्रयोग किया जाता है । सीआर, पी.सी. की धारा 107/116 तब लागू किया जाता है जब शांति भंग की आशंका होती है, परिणामस्वरूप ये दो धाराएं भी निवारक उपाय हैं जो उपरोक्त पुलिस की अक्षमता और भ्र्ष्टाचार को दर्शाती हैं। कृपया सरकार द्वारा जारी परिपत्र, अधिसूचना, कार्यालय ज्ञापन प्रदान करें जो एन.सी.आर की परिणति अपराध निवारक प्रावधान में करने का समर्थन करता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 323/504 के तहत और मुक़दमा संख्या  31/22 के रूप में पंजीकृत  अपराध को Cr.P.C की धाराओं के तहत 151/107/116 में परिणित करना जो अपराध निवारक उपाय हैं किस तरह से न्यायोचित है । 3-क्या पीड़ित की मेडिकल जांच रिपोर्ट पुलिस की जांच के अधीन है, निस्संदेह नहीं, अपराधियों द्वारा पीड़ित को गंभीर चोटें कैसे पहुंचाई जा सकती हैं. क्या पुलिस की विश्वसनीयता पर कोई संदेह नहीं है क्योंकि इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही का अभाव है। पुलिस कोई न्यायाधीश नहीं है जो अ

विभाग -पुलिसशिकायत श्रेणी -

नियोजित तारीख-30-06-2022शिकायत की स्थिति-

स्तर -क्षेत्राधिकारी स्तरपद -क्षेत्राधिकारी / सहायक पुलिस आयुक्त

प्राप्त रिमाइंडर-

प्राप्त फीडबैक -दिनांक को फीडबैक:-

फीडबैक की स्थिति -

संलग्नक देखें -Click here

नोट- अंतिम कॉलम में वर्णित सन्दर्भ की स्थिति कॉलम-5 में अंकित अधिकारी के स्तर पर हुयी कार्यवाही दर्शाता है!

अधीनस्थ द्वारा प्राप्त आख्या :

क्र.स. सन्दर्भ का प्रकार आदेश देने वाले अधिकारी आदेश दिनांक आदेश आख्या देने वाले अधिकारी आख्या दिनांक आख्या स्थिति आपत्ति देखे संलगनक

1 अंतरित ऑनलाइन सन्दर्भ 31-05-2022 क्षेत्राधिकारी / सहायक पुलिस आयुक्त-क्षेत्राधिकारी , नगर ,जनपद-मिर्ज़ापुर 28-06-2022 शिकायतकर्ता उपरोक्त की जाच आख्या संलग्न है । निस्तारित


Beerbhadra Singh

To write blogs and applications for the deprived sections who can not raise their voices to stop their human rights violations by corrupt bureaucrats and executives.

2 Comments

Whatever comments you make, it is your responsibility to use facts. You may not make unwanted imputations against any body which may be baseless otherwise commentator itself will be responsible for the derogatory remarks made against any body proved to be false at any appropriate forum.

  1. क्षेत्राधिकारी शहर को आवेदक को बताना होगा कि एन.सी.आर. एफआइआर में तब्दील हो जाएगा। और ललित मोहन कसेरा को न्याय मिलेगा क्योंकि अपराधियों को मुक्त कर दिया गया है और वे प्रार्थी की हड्डी तोड़ कर सर फोड़ कर अपनी बाह बाही लूट रहे है और पुलिस में अपनी पकड़ का ढिढोरा पीट रहे और दुसरे को भी अपराध करने के लिए प्रेरित कर रहे है श्री मान २१ मार्च २०२२ को आप द्वारा अससंज्ञेय अपराध दर्ज करने के उपरांत प्रार्थी का चिकत्स्कीय परीक्षण कराया गया और चिकित्सक के परामर्श के उपरांत दूसरे दिन एक्सरे कराया गया किन्तु आप को अभी तक एक्सरे रिपोर्ट अप्राप्त है श्री मान जी चार महीने भी आप को एक्सरे रिपोर्ट अप्राप्त है श्री मान की आप के पुलिस स्टेशन से २ किलो मीटर और चौकी से डेढ़ किलो मीटर पर है मंडलीय अस्पताल जो आपकी कर्तव्य पालन के प्रति निष्ठां दर्शाता है

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  2. सोचिए छाछ आटा के सर में लगे हाथ की हड्डी टूट गई खुद पुलिस में एक्स-रे करवाया और एक्स-रे रिपोर्ट नहीं दिया अब पुलिस करती है कि कोई प्रमाण ही नहीं है अर्थात योगी सरकार जो अपराधियों के प्रति सख्त रूख अपनाती है उसकी यह रवैया है कि इतने पर भी रिपोर्ट दर्ज नहीं करते फिर गरीबों और मजदूरों को न्याय कहां से मिलेगा न्याय दिलाना सिर्फ मात्र दिखावा है कुछ लोगों का घर गिला कर सुशासन की बात की जाती है वह भी जो विरोधी तत्व है भाजपा केवल उन्हीं पर कार्यवाही की जा रही है और जिन्हें सत्ता पक्ष का संरक्षण है उनके खिलाफ क्या बोलेगी उन्हें तो थाने में चाय पी लाएगी

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