Why Yogi government is implicating correspondents under false charges who are exposing copying mafia syndicate in Uttar Pradesh?

 





Gmail Beerbhadra Singh <myogimpsingh@gmail.com>
Instead of taking action on paper leaked, more emphasis of the district administration is to implicate the whistle blowers under fabricated charges.
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Beerbhadra Singh <myogimpsingh@gmail.com> Sun, Apr 3, 2022 at 5:23 PM
To: pmosb <pmosb@pmo.nic.in>, Presidents Secretariat <presidentofindia@rb.nic.in>, urgent-action <urgent-action@ohchr.org>, supremecourt <supremecourt@nic.in>, hgovup@up.nic.in, cmup <cmup@up.nic.in>, csup@up.nic.in, uphrclko@yahoo.co.in, upmsp@rediffmail.com, "rovaranasi@gmail.com" <rovaranasi@gmail.com>, upmspprayagraj@gmail.com, desecedu@gmail.com
पेपर लीक पर कार्रवाई करने के बजाय जिला प्रशासन का जोर व्हिसल ब्लोअर को मनगढ़ंत आरोप में फंसाने पर है.
With due respect, the applicant invites the kind attention of the Honourable Sir to the following submissions as follows.
1-I pray before the Honourable Sir that  51A. Fundamental duties It shall be the duty of every citizen of India (a) to abide by the Constitution and respect its ideals and institutions, the National Flag and the National Anthem;(h) to develop the scientific temper, humanism and the spirit of inquiry and reform;
(i) to safeguard public property and to abjure violence;

(j) to strive towards excellence in all spheres of individual and collective activity so that the nation constantly rises to higher levels of endeavour and achievement.
2-It is submitted before the Honourable Sir that following is the news report published in the leading hindi daily Amar Ujala. 
बलिया पर्चा लीक मामला : नकल माफिया पर मेहरबानी...पत्रकारों पर निशाना, प्रशासन के रवैये पर उठे सवाल
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी  Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 03 Apr 2022 11:58 AM IST
बलिया में पर्चा लीक का मामला उजागर करने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई से प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। 
प्रशासन के पास अभी तक गिरफ्तार पत्रकारों के खिलाफ कोई सुबूत नहीं हैं।
बोर्ड परीक्षा में नकल से पर्चा लीक जैसे कोढ़ के इलाज के बजाय उसे ढकने की प्रशासन की बदनीयती से पूर्वांचल के नकल माफिया के हौसले बुलंद हैं। बलिया में पर्चा लीक का मामला उजागर करने वाले पत्रकारों पर कार्रवाई से प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। प्रशासन के पास अभी तक गिरफ्तार पत्रकारों के खिलाफ कोई सुबूत नहीं हैं।
The administration has no evidence against the arrested journalists so far.
The administration's indiscretion to cover up leprosy instead of treating leprosy such as the leak of papers for copying in the board examination has emboldened the copying mafia of Purvanchal. The action on journalists who exposed the issue of paper leak in Ballia has raised questions on the administration. The administration has no evidence against the arrested journalists so far.
दरअसल, 29 मार्च को हाईस्कूल की संस्कृत की परीक्षा थी। 28 मार्च की रात को ही बलिया में प्रश्नपत्र व मिलती-जुलती हल की हुई कॉपी वायरल हो गई। 29 मार्च की सुबह छह बजे पत्रकार अजीत ओझा ने इसे तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक को भेजकर जांच की बात कही। चार घंटे तक कोई जवाब नहीं आया। दस बजे डीएम इंद्रविक्रम सिंह ने फोन कर प्रश्नपत्र अपने व्हाट्सएप पर मांगा। पत्रकार ने वायरल पर्चा उन्हें भी भेज दिया। 
In fact, on March 29, there was a high school Sanskrit exam. On the night of March 28, the question paper and a similar solved copy went viral in Ballia. At 6 am on March 29, journalist Ajit Ojha sent it to the then District Inspector of Schools and asked for an inquiry. There was no response for four hours. At 10 o'clock, DM Indravikram Singh called and asked for the question paper on his WhatsApp. The journalist sent the viral form to them too. 

फिर भी, वायरल प्रश्नपत्र से मिलते-जुलते पेपर से ही परीक्षा करवा ली गई। इसी बीच, 29 मार्च की रात अंग्रेजी का पेपर भी वायरल हो गया। इसकी खबर अखबार में छपी भी। 30 मार्च को सुबह करीब साढ़े नौ बजे डीएम ने फोन कर अंग्रेजी का वायरल पेपर मांगा, तो पत्रकार ने उन्हें व्हाट्सएप कर दिया। आश्चर्यजनक रूप से उनके मांगे जाने पर ही भेजे पेपर को वायरल करना बताते हुए पत्रकार अजीत ओझा व अन्य पर केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि, पूरे मामले में प्रशासन की मदद की गई। इसके सुबूत भी मौजूद हैं।
However, the examination was conducted from the paper similar to the viral question paper. Meanwhile, on the night of March 29, the English paper also went viral. The news was also published in the newspaper. On March 30, at around 9.30 am, the DM called and asked for a viral paper of English, then the journalist whatsapped it. Surprisingly, journalist Ajit Ojha and others were booked and arrested for leaking the paper but sent viral paper by the journalist only on the demand of the District Magistrate. However, the administration was helped by the correspondents in the entire matter. There is also evidence of this.

प्रशासन की मदद अपराध कैसे?
प्रशासन ने अपनी गर्दन बचाने के लिए ऐसी कहानी गढ़ी कि नकल माफिया की करतूत उजागर करने वालों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया। सवाल है, अगर पत्रकार नकल माफिया से मिले होते, तो प्रशासन को पर्चा लीक होने की सूचना क्यों देते? या प्रशासन को सूचना देना ही अपराध है?
How does helping the administration be a crime?
The administration, in order to save its neck, fabricated such a story against whistleblowers who exposed the deeds of the copying mafia. The question is, if the journalists had met the copying mafia, why would they have informed the administration about the leak of the paper? Or is it a crime to inform the administration about criminal activity? 
बलिया पर्चा लीक मामला : नकल माफिया पर मेहरबानी...पत्रकारों पर निशाना, प्रशासन के रवैये पर उठे सवाल
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी  Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Sun, 03 Apr 2022 11:58 AM IST
पेपर लीक मामला : पत्रकारों को जेल भेजने पर बिफरे अधिवक्ता
यूपी बोर्ड परीक्षा में इंटरमीडिएट का अंग्रेजी पेपर होने के मामले में पत्रकारों को फंसाने के विरोध में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को डीएम कार्यालय पहुंचा। जिलाधिकारी से मुलाकात न होने पर राज्यपाल के नाम ज्ञापन उनके प्रतिनिधि को सौंपा। इसमें जिला प्रशासन पर उदासीनता व घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पूरे प्रकरण में डीएम बलिया को दोषी ठहराया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज राय हंस ने कहा कि बलिया सहित कुल 24 जनपदों में अंग्रेजी विषय की प्रश्न पुस्तिका परीक्षा शुरू होने से पूर्व सोशल मीडिया पर वायरल होने की सूचना प्रसारित हुई थी। इसके बावजूद जिलाधिकारी बलिया द्वारा घोर उदासीनता व लापरवाही का परिचय दिया गया। परीक्षा निरस्त करने की घोषणा वायरल हुए पेपर से मिलान किए बिना लगभग दो घंटे पहले ही कैसे कर दी गई? इससे स्पष्ट है कि डीएम ने अंग्रेजी का पेपर समयपूर्व ही सीलबंद लिफाफे को खोल कर देखा और इसकी गोपनीयता भंग की। अधिवक्ताओं ने मांग की है कि पत्रकारों पर दर्ज मुकदमा वापस लिया जाए और गोपनीयता भंग करने के आरोप में डीएम को निलंबित कर उन पर मुकदमा दर्ज कराया जाए। 

डीएम पर कार्रवाई की मांग को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन भेजा
पेपर लीक मामले में पत्रकारों पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लेने की मांग को लेकर छात्र नेताओं ने शनिवार को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। सामाजिक कार्यकर्ता रिपुंजय रमण पाठक ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। पत्रकारों का मुख्य कार्य जनहित में खबरों को प्रकाशित करना है। जिला प्रशासन ने बिना जांच किए ही पत्रकारों को गिरफ्तार कर लिया है।

पत्रकारों को जेल भेजना, लोकतंत्र की हत्या
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के जिलाध्यक्ष शैलेश सिंह ने घटना में पत्रकारों को ही दोषी ठहरा कर जेल भेज देने को लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने कहा है कि अगर समाज का कोई प्रहरी भ्रष्ट व्यवस्था को उजागर करने की हिम्मत जुटा पाता है तो जिला प्रशासन प्रोत्साहित करने की बजाय उसे ही जेल में डाल दे, यह सर्वथा निंदनीय है। 

यूपी बोर्ड पेपर लीक: बलिया में पत्रकारों को जेल भेजने पर बिफरे अधिवक्ता, डीएम पर कार्रवाई की मांग
अमर उजाला नेटवर्क, बलिया Published by: वाराणसी ब्यूरो Updated Sun, 03 Apr 2022 11:05 AM IST
बलिया में  अधिवक्ताओं ने कहा कि गोपनीयता भंग करने के आरोप में जिलाधिकारी पर मुकदमा दर्ज कराया जाए। उनके खिलाफ सीबीआई जांच कराई जाए। प्रकरण में वायरल पेपर की सत्यता जांचे बिना पेपर निरस्त किए जाने को संदेह के घेरे में बताया।
यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट अंग्रेजी प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में पत्रकारों को गलत तरीके से फंसाने के विरोध में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल बलिया जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचा। डीएम  से मुलाकात न होने पर राज्यपाल के नाम संबोधित ज्ञापन उनके प्रतिनिधि को सौंपा। जिला प्रशासन पर उदासीनता व घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पूरे प्रकरण में जिलाधिकारी बलिया को दोषी ठहराया।


अधिवक्ताओं ने मांग की कि प्रथम दृष्टया मामले में गोपनीयता भंग करने के आरोप में जिलाधिकारी पर मुकदमा दर्ज कराया जाए। उनके खिलाफ सीबीआई जांच कराई जाए। प्रकरण में वायरल पेपर की सत्यता जांचे बिना पेपर निरस्त किए जाने को संदेह के घेरे में बताया।
डीएम ने घोर उदासीनता और लापरवाही का परिचय दिया
जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे अधिवक्ताओं का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज राय हंस ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के इंटरमीडिएट परीक्षा 2022 बलिया सहित कुल 24 जनपदों में अंग्रेजी विषय की प्रश्न पुस्तिका कोड संख्या 316 ई डी 316 ईआई का परीक्षा शुरू होने से पूर्व सोशल मीडिया पर वायरल होने की सूचना प्रसारित हुई थी।

इसके बावजूद जिलाधिकारी बलिया द्वारा घोर उदासीनता व लापरवाही का परिचय दिया गया। इंटरमीडिएट की अंग्रेजी परीक्षा निरस्त करने की घोषणा लगभग दो घंटा पहले ही बिना वायरल पेपर से मिलान किए आखिर कैसे कर दी। इससे पूरी तरह स्पष्ट है कि जिलाधिकारी बलिया ने अंग्रेजी के पेपर को समयपूर्व ही सीलबंद लिफाफे को खोल कर देखा और इसकी गोपनीयता भंग की।
पढ़ेंः  नकल माफिया पर मेहरबानी...पत्रकारों पर निशाना, शासन के रवैये पर उठे सवाल
पत्रकारों पर दर्ज मुकदमा अविलंब वापस हो
अधिवक्ताओं ने मांग की कि पत्रकारों पर दर्ज मुकदमा अविलंब वापस लिया जाए। जिलाधिकारी बलिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित और बर्खास्त करके उनके विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत करके तत्काल गिरफ्तार किया जाए। प्रश्न पुस्तिका लीक होने के मामले में केंद्रीय अन्वेषण एजेंसी (सीबीआई ) से जांच कराई जाए। अ

धिवक्ता वरुण पांडेय ने कहा कि जो प्रश्नपत्र बलिया में भेजा गया था। वही प्रश्नपत्र 24 जिलों में भेजा गया था तो दो घंटे पूर्व डीएम ने किस आधार पर प्रश्नपत्र देख लिया कि बलिया का कोड वाला पेपर ही वायरल हुआ। अगर डीएम ने खोलकर उसे मिलाया है तो वे खुद ही दोषी है।

अधिवक्ता अखिलेन्द्र चौबे ने कहा कि हम कोर्ट में डीएम की कार्रवाई को गलत ठहराएंगे। इस प्रकरण में भ्रष्टाचार के खिलाफ हम हाईकोर्ट तक ले जाएंगे। इस मौके पर अधिवक्ता सत्येंद्र सिंह, रजनीश तिवारी, मनोज कुमार तिवारी, अशोक कुमार वर्मा, सोनू गुप्ता आदि मौजूद रहे। उधर, दूसरी ओर डीएम भी मीडिया के सवालों से बचते रहे।
पत्रकारों को जेल भेजना, लोकतंत्र की हत्या : शैलेश सिंह
अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति के जिलाध्यक्ष शैलेश सिंह ने जनपद प्रशासन द्वारा पेपर लीक की घटना में पत्रकारों को ही दोषी ठहरा कर जेल भेज देने को लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने विज्ञप्ति में कहा है कि जनपद में संचालित परीक्षाओं की पारदर्शिता किसी से छिपी नहीं है।

भ्रष्ट व्यवस्था को अगर कोई समाज का प्रहरी उजागर करने की हिम्मत जुटा पाता है तो जिला प्रशासन प्रोत्साहित करने की बजाय उसे ही जेल में डाल दे यह सर्वथा निंदनीय है। जिलाध्यक्ष ने तत्काल पत्रकारों को रिहा करने की मांग करते हुए कहा कि अगर जिला प्रशासन इस विषय को लेकर सही मायने में गंभीर है तो किसी पूर्व न्यायाधीश के नेतृत्व में कमेटी गठित कर मानक के अनुसार परीक्षा केंद्र की स्थापना, उनकी व्यवस्था और नकल माफिया द्वारा हजारों फार्म भराने की जांच कराए। फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
छात्र नेता भी कार्रवाई के विरोध में उतरे
पेपर लीक मामले में पत्रकारों पर दर्ज फर्जी मुकदमा वापस लेने की मांग को लेकर छात्र नेताओं ने शनिवार को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। इस दौरान कलेक्ट्रेट परिसर में उपस्थित छात्रनेताओं को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता रिपुंजय रमण पाठक ने कहा कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है।

पत्रकारों का मुख्य कार्य है जनहित में खबरों को प्रकाशित करना। जिला प्रशासन ने बिना जांच किए ही पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष रोहित चौबे ने कहा कि जिला प्रशासन अपनी कमियों को छिपाने के लिए पत्रकारों पर आरोप लगा रहा है। सरकार की मंशा है कि पूरे प्रदेश में नकलविहीन परीक्षा कराई जाए, लेकिन जिला प्रशासन ने सरकार की मंशा पर पानी फेरने का काम किया है।

उन्होंने मुख्यमंत्री से पेपर लीक मामले की सीबीआई से जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई करने के साथ ही निर्दोष पत्रकारों पर दर्ज मुकदमे को वापस लेने की मांग की है। ज्ञापन सौंपने वालों में अंकित तिवारी, मनीष राय टिंकू, दुर्गेश पांडेय, तेजप्रताप सिंह, बबलू यादव, अविनाश पांडेय, कुलदीप ओझा, रंजीत कुमार, अभिषेक सिंह, मेराज आलम आदि मौजूद रहे।
3-I pray before the Honourable Sir that it is quite obvious that District Magistrate had to prefer a transparent and accountable enquiry to look into the facts of serious allegations of the paper leak but he adopted a crooked path to suppress the voice of public spirited journalists. Which can never be justified.
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पेपर लीक के गंभीर आरोपों के तथ्यों को देखने के लिए जिलाधिकारी को पारदर्शी और जवाबदेह जांच को प्राथमिकता देनी थी , लेकिन उन्होंने जन-उत्साही पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए एक टेढ़ा रास्ता अपनाया जिसे कभी जायज नहीं ठहराया जा सकता
बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है/ 

हर शाख पे उल्लू बैठें हैं अंजाम ऐ गुलिस्तां क्या होगा।

 ‘बर्बाद ऐ गुलशन कि खातिर बस एक ही उल्लू काफी था/ 

हर शाख पर उल्लू बैठा है अंजाम ऐ गुलशन क्या होगा।’

This is a humble request of your applicant to you, Hon’ble Sir, how can it be justified to withhold public services arbitrarily and promote anarchy, lawlessness and chaos arbitrarily by making the mockery of law of land? There is need of the hour to take harsh steps against the wrongdoer to win the confidence of citizenry and strengthen the democratic values for healthy and prosperous democracy. For this, your applicant shall ever pray for you, Hon’ble Sir.

Date-03/04/2022                                                  Yours sincerely


                                                      Yogi M. P. Singh, Mobile number-7379105911,

Mohalla- Surekapuram, Jabalpur Road, District-Mirzapur, Uttar

 Pradesh, Pin code-231001.
Beerbhadra Singh

To write blogs and applications for the deprived sections who can not raise their voices to stop their human rights violations by corrupt bureaucrats and executives.

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  1. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पेपर लीक के गंभीर आरोपों के तथ्यों को देखने के लिए जिलाधिकारी को पारदर्शी और जवाबदेह जांच को प्राथमिकता देनी थी , लेकिन उन्होंने जन-उत्साही पत्रकारों की आवाज को दबाने के लिए एक टेढ़ा रास्ता अपनाया जिसे कभी जायज नहीं ठहराया जा सकता

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